Gujarat : सरकारी अधिकारी अब मीटिंग के लिए नहीं बना सकेंगे बहानेGujarat : सरकारी अधिकारी अब मीटिंग के लिए नहीं बना सकेंगे बहाने

gujarat : आवेदकों को अब यह सुनने को नहीं मिलेगा कि बॉस मीटिंग में हैं। जी हां, अपने काम के लिए सरकारी दफ्तरों में जाने वाले आवेदकों को अब एक घंटे से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। क्योंकि, सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर निर्देश दिया है कि सरकारी ( Government ) अधिकारियों की मीटिंग अब 1 घंटे से ज्यादा नहीं चलेगी।

gujarat : अब मीटिंग में 1 घंटे से ज्यादा समय बर्बाद नहीं किया जा सकेगा। सभी अधिकारियों को मीटिंग शुरू होने से 5 मिनट पहले मौजूद होना होगा। शहर से बाहर के अधिकारियों को वर्चुअली जुड़ने को कहा गया है। राज्य सरकार के इस फैसले से अब समय और पैसे की बचत के साथ-साथ प्रशासन में भी तेजी आएगी।

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gujarat : गुजरात प्रशासनिक सुधार आयोग ने प्रशासन में तेजी लाने के लिए सरकार को जो सिफारिशें की थीं, उनमें दफ्तरों को जल्दी खोलने के अलावा यह मुद्दा भी था। जिसके बाद अब प्रशासन विभाग ने एक सर्कुलर जारी कर निर्देश दिया है कि घंटों और कभी-कभी तो पूरा दिन चलने वाली मीटिंग की वजह से आवेदकों का काम रुक जाता था। विभिन्न विभागों में फाइलें जमा हो जाती थीं। इस तरह की देरी से बचने के लिए मीटिंग को सिर्फ एक घंटे में खत्म करने का सर्कुलर जारी किया गया है।

gujarat : आवेदकों को अब यह सुनने को नहीं मिलेगा कि बॉस मीटिंग में हैं। जी हां, अपने काम के लिए सरकारी दफ्तरों में जाने वाले आवेदकों को अब एक घंटे से ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

इसलिए अब आवेदक यह नहीं सुन पाएंगे कि साहब एक घंटे से ज्यादा मीटिंग में हैं। क्योंकि मीटिंग का समय ही एक घंटा तय कर दिया गया है। गौरतलब है कि मीटिंग लंबी होने के कारण नाश्ते-पानी पर भी काफी खर्च होता था। पता चला है कि पिछले 3 सालों में सिर्फ मीटिंग और आगंतुकों के नाश्ते पर ही ढाई करोड़ रुपए खर्च हो गए।

gujarat : इसके अलावा, गुजरात समेत भारत के कई शहर और गांव रंग-बिरंगे और विविधतापूर्ण हैं, उनके नामों के पीछे की कहानियां भी उतनी ही दिलचस्प हैं। आपने जयपुर, कानपुर, हैदराबाद, अहमदाबाद जैसे नाम तो सुने ही होंगे। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई जिसमें पूछा गया कि, “गुजरात समेत भारत के कई शहरों और गांवों के नाम ‘पुर’ या ‘बाद’ में क्यों खत्म होते हैं?” इस सवाल ने लाखों लोगों की जिज्ञासा जगाई और कई लोगों ने इसके पीछे का इतिहास जानने की कोशिश की।

gujarat : ‘पुर’ शब्द का अर्थ क्या है?वीडियो में दावा किया गया है कि ‘पुर’ शब्द संस्कृत से आया है और इसका अर्थ है ‘शहर’ या ‘कस्बा’। प्राचीन भारत में जब भी कोई राजा कोई नई बस्ती या किला बसाता था, तो उसके नाम में ‘पुर’ जोड़ दिया जाता था। उदाहरण के लिए, जयपुर (जय सिंह द्वारा स्थापित), उदयपुर (उदय सिंह द्वारा स्थापित) और ग्वालियर (ग्वालियर) जैसे शहर इस परंपरा को दर्शाते हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि ‘पुर’ शब्द का इस्तेमाल कभी-कभी ‘किले’ के लिए भी किया जाता था।https://youtube.com/shorts/1C8OzH9vXPo

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gujarat : भाषाविदों के अनुसार, ‘पुर’ शब्द वैदिक काल से ही प्रयोग में है और इसका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। यह शब्द उत्तर भारत के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी प्रचलित था। उदाहरण के लिए, इसका प्रयोग आज भी तिरुपुर और काशीपुर में देखने को मिलता है।

‘बाद’ कहां से आया?वीडियो में यह भी दावा किया गया है कि ‘बाद’ शब्द फारसी मूल का है और ‘आबाद’ से आया है, जिसका अर्थ है ‘बसे हुए स्थान’ या ‘विकसित आबादी’। यह शब्द भारत में मुगल काल के दौरान लोकप्रिय हुआ, जब फारसी भाषा प्रशासन और संस्कृति का हिस्सा बन गई।

gujarat : हैदर अली के नाम पर हैदराबाद ( Hyderabad ) और अहमद शाह द्वारा स्थापित अहमदाबाद जैसे शहरों के नाम इस परंपरा से जुड़े हैं। अक्सर ऐसे शहरों के नाम में ‘बाद’ इसलिए जोड़ा जाता था क्योंकि वे जल स्रोतों के पास बसे थे – जो कृषि और जीवन के लिए आवश्यक थे। इसलिए, वे न केवल सांस्कृतिक रूप से बल्कि भौगोलिक रूप से भी महत्वपूर्ण थे।

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