Election Results : सौराष्ट्र के मोटागाजा के नेता और पूर्व मंत्री जयेश रादड़िया का खेल बीजेपी ने खेल दिया है. जब बीजेपी पिछले 18 सालों से विसावदर सीट नहीं जीत ( Victory ) पाई तो रादड़िया को प्रभारी बनाया गया. ( Election Results ) अब जब बीजेपी विसावदर सीट हार गई है. अब हार का ठीकरा रादड़िया पर फोड़ा गया है. आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल ( Cabinet ) विस्तार होने वाला है, इसे देखते हुए रादड़िया का मंत्री पद खतरे में है.
Election Results : गुजरात में बहुचर्चित विसावदर उपचुनाव का नतीजा आ गया है, जिसमें बीजेपी उम्मीदवार किरीट पटेल हार गए हैं. गोपाल इटालिया ( Gopal Italia ) ने उन्हें 17 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. बड़ी बात ये है कि इस सीट पर बीजेपी को अभी भी विसावदर में वनवास झेलना पड़ेगा. इस हार के साथ ( Election Results ) ही विसावदर में हार का ठीकरा रादड़िया के सिर पर फोड़ दिया गया है. भाजपा ने जयेश रादड़िया का खेल बिगाड़ दिया है और अब उनका मंत्री पद खतरे में है। विसावदर में चुनाव हारने के बाद सहकारी संस्थाओं में जनादेश के मुद्दे पर भाजपा ( BJP ) से भिड़ने वाले रादड़िया अब फूल गए हैं।
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विसावदर में भाजपा हारी तो मानो भाजपा को स्वादिष्ट भोजन मिल गया हो। जब यह साबित हो गया कि जयेश रादड़िया विसावदर में भाजपा को नहीं जिता पाए तो भाजपा खुद उन्हें ही हार का कारण ( Reason ) मान रही है। अब हार का ठीकरा रादड़िया के सिर फोड़ा जाएगा और भाजपा जनादेश युद्ध का बदला ( Election Results ) लेगी। ताजा किस्सा लीजिए.. जयेश रादड़िया ने जनादेश न मिलने के बावजूद सहकारी संस्था में भाजपा से भिड़ गए थे और पार्टी के उम्मीदवार बिपिन गोटा को हरा दिया था।
उस समय जनादेश युद्ध शुरू हो गया था। चूंकि जयेश रादड़िया सहकारी संस्थाओं में थे, इसलिए भाजपा नेतृत्व ने चुप रहना ही उचित समझा। अब वही रादड़िया विसावदर उपचुनाव में भाजपा से पूरी तरह से हार गए। पाटिल ने रादडिया को इस सीट का प्रभारी बनाया और इटालिया के खिलाफ उन्हें मैदान ( Field ) में उतारा। ( Election Results ) भाजपा जानती थी कि विसावदर को जीतना एक चुनौती है। मतदाता इस सीट पर भाजपा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। फिर भी, रादडिया को जिम्मेदारी दी गई।

महत्वपूर्ण बात यह है कि विसावदर सीट हमेशा से चर्चा में रही है। विसावदर सीट पर भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी जयेश रादडिया को दी गई थी। लेकिन रादडिया की मेहनत उल्टी पड़ गई। भाजपा उम्मीदवार किरीट पटेल ने कई बार जनसभाओं में यहां तक कहा था कि अगर आप मुझे जिताओगे तो रादडिया ( Election Results ) मंत्री बनेंगे। लेकिन यह सब खोखला साबित हुआ है। चर्चा थी कि अगर भाजपा विसावदर जीतती है तो जयेश रादडिया को मंत्री पद मिलना तय है। लेकिन अब गोपाल इटालिया ने बाजी मार ली है।
गैर‑राजनैतिक कहानी: जयेश रादड़िया
आपने सही इंगित किया कि इस हार का एक प्रमुख असर भाजपा नेता जयेश रादड़िया पर भी पड़ेगा। वे सहकारी संस्थाओं में सक्रिय रहकर कुछ समय पहले भाजपा के उम्मीदवार को हरा चुके थे — तभी से उन पर पार्टी की अंदरूनी नाराज़गी दिखने लगी थी।
अब विसावदर में पूर्ण हार के बाद, यह घोषणा हो ( Election Results ) सकती है कि हार का दोष सीधे रादड़िया पर गिरेगा। भाजपा पहले ही इस सीट को संभालने की कोशिश कर रही थी, जैसे कि आपने बताया — लेकिन परिणाम उल्टा पड़ा।
अब भाजपा का अगला कदम?
- रादड़िया पर सार्वजनिक ज़िम्मेदारी: हार का ठीकरा सीधे उन्हें ही थोपने की रणनीति बनेगी।
- जमीनी संगठन मजबूत करना: इस हार ने स्पष्ट किया कि स्थानीय संगठन, प्रचार, मुद्दे—सबमें BJP को सुधार की ज़रूरत है।
- BJP‑AAP के बीच जनादेश का नया रण: विसावदर का जनादेश AAP की तरफ झुका, जो गुजरात में भाजपा के लिए आने वाले चुनावों का मजबूत संकेत हो सकता है।
आपकी बात से क्या साबित होता है?
- जयेश रादड़िया का सहकारी मैदान में खुद की पहचान थी — लेकिन अब भाजपा ने उन्हें ही हार का जिम्मेदार मानने का मन बना लिया है।
- भाजपा, चाहे रणनीति बदल कर रादड़िया को ( Election Results ) हटाए या न करें, जनता को संदेश जाना तय है: स्थानीय उम्मीदवार की छवि से चुनाव नहीं जीता जा सकता।
विसावदर की यह हार भाजपा के लिए सिर्फ एक हार नहीं, बल्कि संकेत है कि आजकल जनादेश युद्ध हार का बदला जनता से लेना होगा, न कि किसी एक नेता से। और अब रादड़िया को ‘हार के प्रतीक’ के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह निर्णय पार्टी की आगामी रणनीति और संगठनात्मक फेरबदल में दिखेगा।