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Dharma : गणेश चतुर्थी ( ganesh chaturthi ) का त्यौहार ( festival ) पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चौथ के दिन मनाई जाती है। इस बार यह 27 अगस्त को आ रही है। गणपति ( ganpati ) की पूजा ( pooja ) दस दिनों तक की जाती है। गणेश जी का स्वरूप अन्य देवी-देवताओं से भिन्न है। हम आपको बता रहे हैं कि भगवान गणपति ( god gansha ) का प्रत्येक अंग हमारे लिए क्या दर्शाता है और उसका क्या महत्व है।

बड़ा सिर
Dharma : प्रतीक: बड़ा सिर विचारशीलता, बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है।
महत्व: यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा बड़ा सोचना चाहिए, जीवन के निर्णय बुद्धिमानी से लेने चाहिए और ज्ञान प्राप्त करने में कभी पीछे नहीं हटना चाहिए।

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बड़ी सूंड
Dharma : प्रतीक: सूंड परिस्थितियों के अनुकूल ढलने की क्षमता दर्शाती है। हाथी की सूंड बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ सकती है और छोटी से छोटी चीज़ को भी पकड़ सकती है।
महत्व: यह हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ या परिस्थितियाँ आएँ, हमें सहजता से ढल जाना चाहिए और दृढ़ संकल्प के साथ काम करना चाहिए।

Dharma : गणेश चतुर्थी ( ganesh chaturthi ) का त्यौहार ( festival ) पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चौथ के दिन मनाई जाती है।

एक दाँत
प्रतीक: यह ज्ञान और त्याग का प्रतीक है। महाभारत लिखने के लिए उन्होंने अपना एक दाँत तोड़ दिया था।

महत्व: यह हमें सिखाता है कि ज्ञान प्राप्ति या किसी नेक काम के लिए कोई भी त्याग करने को तैयार रहना चाहिए।

बड़े कान
प्रतीक: बड़े कान ध्यानपूर्वक सुनने और सबकी बात सुनने का संकेत देते हैं।

महत्व: यह हमें दिखाता है कि हमें दूसरों के विचारों, सलाह और ज्ञान को शांति से सुनना चाहिए। एक अच्छा श्रोता ही एक अच्छा विद्वान बन सकता है।

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छोटी आँखें
प्रतीक: छोटी और तीखी आँखें ध्यान और एकाग्रता का प्रतीक हैं।

महत्व: यह हमें सिखाता है कि कोई भी काम करते समय या जीवन पथ पर चलते समय पूरा ध्यान और एकाग्रता रखना आवश्यक है।

छोटा मुँह
प्रतीक: कम बोलने का संकेत देता है।

महत्व: यह हमें सिखाता है कि हमें उतना ही बोलना चाहिए जितना आवश्यक हो। कम बोलकर हम अपनी ऊर्जा और समय का सदुपयोग कर सकते हैं।

बड़ा पेट
प्रतीक: बड़ा पेट सभी अच्छी और बुरी बातों को पचाने की क्षमता दर्शाता है।

महत्व: यह हमें सिखाता है कि हमें जीवन में आने वाले सुख-दुःख, मान-अपमान, सफलता-असफलता को समभाव से स्वीकार करना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में शांत रहना ही सच्चे ज्ञान का प्रतीक है।

वाहन और उसका महत्व
Dharma : भगवान गणेश का वाहन एक छोटा सा मूषक (चूहा) है। यह जोड़ी अजीब लग सकती है क्योंकि एक विशाल शरीर वाले देवता और एक छोटा वाहन। इसके पीछे एक प्रतीकात्मक रहस्य छिपा है। मूषक लोभ, स्वार्थ और अहंकार का प्रतीक है। गणेश जी का मूषक पर सवार होना दर्शाता है कि उन्होंने इन सभी नकारात्मक भावनाओं पर विजय प्राप्त कर ली है। यह हमें सिखाता है कि व्यक्ति को स्वयं पर नियंत्रण रखना चाहिए और ज्ञान एवं अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।

प्रथम पूजा का रहस्य
Dharma : एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवताओं के बीच श्रेष्ठता की प्रतियोगिता आयोजित की गई। सभी देवताओं को संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटने को कहा गया। सभी देवता अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर चल पड़े। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के बजाय, गणेशजी ने अपने माता-पिता, शिव और पार्वती की सात बार परिक्रमा की। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, तो गणेशजी ने कहा कि उनके लिए तो सारा संसार उनके माता-पिता में समाया हुआ है। गणेशजी की भक्ति और बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें प्रथम पूज्य देवता होने का वरदान दिया।

एकदंत
Dharma : भगवान गणेश को ‘एकदंत’ भी कहा जाता है, क्योंकि उनके पास केवल एक ही हाथीदांत है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब महर्षि वेदव्यास महाभारत की रचना करने के लिए तैयार हुए, तो उन्हें एक ऐसे लेखक की आवश्यकता थी जो शीघ्रता से लिख सके। इस कार्य के लिए गणेशजी को चुना गया। शर्त यह थी कि वेदव्यास बिना रुके एक क्षण भी बोलेंगे और गणेशजी लिखते रहेंगे। लिखते समय जब उनकी कलम टूट गई, तो गणेशजी ने बिना समय गंवाए अपना एक दांत तोड़कर उसे कलम की तरह इस्तेमाल किया। यह घटना दर्शाती है कि वे ज्ञान के लिए कोई भी त्याग करने को तैयार थे।

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